
मोहाली में ड्रग इंस्पेक्टर के पद पर तैनात डॉक्टर नेहा शौरी की हत्या के मामले में ड्रग माफिया का हाथ होने से पुलिस ने इनकार किया है। पंजाब पुलिस ने दुकान के लाइसेंस के चक्कर में परेशान व्यक्ति द्वारा इस हत्याकांड को अंजाम देने का मामला बताते हुए हाईकोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
नेहा शौरी के पिता रिटायर्ड कैप्टन कैलाश किशोर शौरी और मां अरुण शौरी ने एडवोकेट भृगुदत्त शर्मा के जरिए याचिका दायर कर पुलिस जांच पर सवाल उठाए कहा कि एक ओर तो पंजाब सरकार राज्य में नशे के कारोबार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के दावे कर रही है, वहीं, दूसरी ओर ड्रग माफिया द्वारा उनकी बेटी की हत्या की जांच में बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। जांच में अब तक क्या निकल के आया है और जांच कहां तक पहुंची है, इस बारे में उनके परिवार को कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
हाईकोर्ट को बताया गया कि पहले उनकी बेटी की हत्या के मामले की जांच मोहाली के एसएसपी को सौंपी गई थी। बाद में जांच आईजी रूपनगर रेंज को सौंप दी गई। 9 अप्रैल को याचिकाकर्ता पंजाब के मुख्यमंत्री से मिले थे और इस मामले जांच में कई खामियां बताते हुए मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए इस मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की थी।
उनकी इस मांग के बाद इस मामले की जांच ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को सौंप दी थी। जांच का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि हत्या के पीछे किसका हाथ है। पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि जांच एजेंसी से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाए ताकि खुलासा हो सके कि जांच कहां तक पहुंची है।
इस पर कोर्ट को बताया गया कि बलविंदर सिंह की पत्नी की केमिस्ट की दुकान का लाइसेंस नए सिरे से जारी न होने के चलते वह परेशान था और इसलिए उसने नेहा को गोली मारी है। नेहा के पिता ने रिपोर्ट साफ नकारते हुए इसे आंखों में धूल झोंकने वाला बताया है।
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