इस्लामाबाद की विशेष अदालत ने मंगलवार को पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुनाई है। उन्हें यह सजा नवंबर 2007 में संविधान से इतर आपातकाल लागू करने की वजह से सुनाई गई है। उन्होंने देश में आपातकाल लागू करने के बाद मार्शल लॉ लगा दिया था। पूर्व सेनाध्यक्ष इस समय दुबई में हैं।अभियुक्त परवेज मुशर्रफ केवल एक बार विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए जब उन पर आरोप लगाया गया था। उसके बाद से वो कभी कोर्ट में पेश नहीं हुए। इस बीच मार्च 2016 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मुशर्रफ विदेश चले गए। उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दिसंबर 2013 से लंबित था।अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बहुमत से फांसी की सजा का फैसला सुनाया है।इतिहास में वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके विरुद्ध संविधान की अवहेलना का मुकदमा चला।
हाल ही में मुशर्रफ ने दुबई अस्पताल से एक वीडियो जारी किया। इसमें वे बिस्तर पर लेटे है।संविधान की अवहेलना और गंभीर देशद्रोह के मुकदमे को लेकर परवेज मुशर्रफ ने कहा था, ‘यह मामला मेरे विचार में पूरी तरह से निराधार है। देशद्रोह की बात छोड़ें, मैंने तो इस देश की बहुत सेवा की, युद्ध लड़े हैं और 10 तक देश की सेवा की है।’आज मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मेरे खिलाफ जांच के लिए कमीशन बनाया गया। लेकिन, इस कमीशन को यहां आकर मेरी तबियत देखें और बयान दर्ज करें। इसके बाद कोई कार्रवाई की जाए। कमीशन की बात कोर्ट भी सुने। उम्मीद है कि मुझे इंसाफ मिलेगा।”