बेंगलूरु: इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने शनिवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान IIT दिल्ली, के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के बारे में आपने सुना है। प्रौद्योगिकी के लिहाज से हम सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाब नहीं हो पाए लेकिन चंद्रमा की सतह से 300 मीटर दूरी तक सभी प्रणालियां चलती रहीं। अब चीजें सही करने के लिए इसरो के पास काफी अहम आंकड़े डाटा उपलब्ध हैं। वे आश्वस्त कर सकते हैं कि इसरो चीजों को सही करने और निकट भविष्य में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपने सारे अनुभव, ज्ञान और तकनीकी कौशल का इस्तेमाल करेगा। जब शिवन पूछा गया कि क्या भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में लैंडिंग का फिर से प्रयास करेगा, तो उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर। चंद्रयान-2 कहानी का अंत नहीं है।’
मिशन चंद्रयान-3 की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक इसरो चांद पर एक और मिशन भेजने की तैयारी में जुट गया है। इस मिशन का नाम चंद्रयान-3 रखा जाएगा। मिशन के तहत केवल लैंडर भेजने की योजना है। इससे पहले चंद्रयान-2 मिशन के तहत आर्बिटर के साथ लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)भेजा गया था। चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 का आर्बिटर पहले से ही चक्कर लगा रहा है और वह कम से कम 7.5 साल तक ऑपरेशनल रहेगा। अब केवल लैंडर भेजा जा सकता है जो अपने ही प्रणोदन प्रणाली (प्रोपल्शन सिस्टम) से धरती से चांद तक की 3.8 4 लाख किमी दूरी तय कर चांद के दक्षिणी धु्रव पर उतरेगा। सूत्रों के मुताबिक संभवत: यह मिशन वर्ष 2021 तक भेजा जा सकता है।
मिशन गगनयान पर काम जारी
इसरो अध्यक्ष ने भविष्य की परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आदित्य एल-1 सौर मिशन और मानव मिशन गगनयान पर भी काम चल रहा है। आने वाले महीनों में कई उन्नत उपग्रह भी प्रक्षेपित किए जाएंगे। दिसंबर या जनवरी में लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) का पहला प्रक्षेपण भी हो सकता है। इसके अलावा सेमीक्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण भी जल्द शुरू होगा।