अमृतसर:एक साल पहले दशहरे के जश्न के दौरान हुए जौड़ा फाटक रेल हादसे के पीडि़तों का जख्म फिर ताजा हो गया। अपनों को खो चुके लोगों के सीने में दबा दर्द आंसू बन कर आंखों से निकल पड़ा। 19 अक्टूबर 2018 को दशहरे के दिन जौड़ा फाटक रेलवे ट्रैक रक्तरंजित हो गया था। यहां रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देख रहे 59 लोग के ऊपर से पठानकोट से आई डीएमयू गुजर गई थी। इस बार दशहरा पर पीडि़त परिवारों के लोग इंसाफ के लिए सड़क पर उतरे। जौड़ा फाटक हादसे के पीडि़त परिवारों ने पंजाब सरकार एवं स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ प्रदर्शन किया। ये परिवार उसी ट्रैक पर धरना लगाने जा रहे थे, जहां हादसा हुआ था, लेकिन पुलिस ने उन्हें बेरीकेड्स लगा रोक दिया। इसके बाद गुस्साए लोग जौड़ा फाटक के समीप ही धरना देकर बैठ गए। कई पीडि़त परिवारों के लोग तो ट्रैक पर जाने को आमादा थे। उनका कहना था कि हमें ट्रैक पर जाने दो, हम भी रेल के नीचे कटकर अपनी जान दे देंगे।पंजाब सरकार और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के प्रति उनका गुस्सा फूट पड़ा।
सरकारी नौकरी तो दूर सिद्धू ने पीडि़त परिवारों को अडाप्ट करने का वायदा भी पूरा नहीं किया
राजेश कुमार नामक शख्स ने बताया कि उनके पिता बलदेव कुमार हादसे में गंभीर जख्मी हुए थे। पांच माह बाद उनकी मृत्यु हो गई। आज तक उनका नाम मृतकों की सूची में शामिल नहीं किया गया। हम सरकारी कार्यालयों में भागदौड़ कर थक चुके हैं। सरकारी नौकरी तो दूर हमें मुआवजा तक नहीं मिला।