
1993 में पुलिस की तरफ से बाबा चरण सिंह समेत एक ही परिवार के छह लोगों मेजा सिंह, गुरदेव सिंह, केसर सिंह, बलजिंदर सिंह व गुरमेज सिंह को अगवा व हत्या करने के मामले की शनिवार को सीबीआई की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सुरक्षा सलाहकार खूबी राम को आरोपी बनाए जाने संबंधी एक गवाह की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें सीबीआई ने अदालत में जवाब दाखिल किया।
सीबीआई ने अपने जवाब में कहा है कि उक्त मामले की जांच दौरान उस समय तरनतारन में तैनात रहे एसपी ऑपरेशन खूबी राम की भूमिका कभी भी मामले में सामने नहीं आई। न ही सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में खूबी राम को नामजद किया है।
सीबीआई का कहना है कि जांच के दौरान किसी भी पीड़ित ने खूबी राम के नाम का कभी जिक्र नहीं किया। सीबीआई के मुताबिक इस मामले में नामजद कश्मीर सिंह नाम का अफसर बाबा चरण सिंह को लेकर बड़ौदा गया। वहां पर 4.17 लाख रुपये अपने पास रख लिए थे।
सीबीआई के मुताबिक उस समय के एसएसपी अजीत सिंह संधू के कहने पर गुरमीत सिंह डीएसपी, सूबा सिंह, कश्मीर सिंह व अन्य ने महंत सेवादास व जगवीर सिंह के सामने बाबा चरण सिंह से पूछताछ की थी। अदालत ने इस मामले की सुनवाई 24 सितंबर निश्चित की है।
ऐसे शुरू हुआ यह सिलसिला
जानकारी के मुताबिक बचाव पक्ष के अहम गवाह नेता कंवर सिंह धामी ने सीबीआई की अदालत में कुछ समय पहले दर्ज करवाए बयान व धारा-319 के अधीन अपने वकील पुषपिंदर सिंह के माध्यम से अर्जी दायर करके मुख्यमंत्री के सलाहकार खूबी राम को आरोपी बनाने की गुहार लगाई थी।
धामी ने दावा किया था कि जब 1993 में बाबा चरण सिंह व उसके परिवार के सदस्यों की हत्या की गई थी। उस समय उक्त पुलिस अधिकारी तरनतारन में एसपी आपरेशन के पद पर था। उसका कहना है कि वह इस झूठे पुलिस मुकाबले का गवाह है।