भारतीय नौसेना को इस माह के आखिर में नई पनडुब्बी मिल जाएगी। 28 सितंबर को मुंबई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में स्कॉर्पीन क्लास पी-75 की दूसरी सबमरीन खंडेरी नौसेना में शामिल होगी। कलवरी श्रेणी की यह स्कॉर्पीन सबमरीन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें ऐसी तकनीक है कि यह दुश्मन देशों की नेवी के रडार पर नजर नहीं आएगी। साथ ही यह सटीक हमला करने में सक्षम है।
स्कॉर्पिन पनडुब्बियों का प्रोजेक्ट मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की कंपनी के सहयोग से चल रहा है। इस प्रॉजेक्ट के तहत पहली पनडुब्बी 2012 में लॉन्च होनी थी, लेकिन किसी कारणवश प्रोजेक्ट में देरी हो गई।
एक लंबे इंतजार के बाद नौसेना को स्कॉर्पियन सीरीज की पहली सबमरीन आईएनएस कलवरी पिछले साल दिसंबर में मिली थी। अब 28 सितंबर को आईएनएस खंडेरी भी नौसेना बेड़े में शामिल हो जाएगी। जिसके बाद उम्मीद है कि जल्द ही आईएनएस करंज भी नौसेना के बेड़े में शामिल होगा जाएगा।
आईएनएस खंडेरी के अलावा तीन और सबमरीन एमडीएल में बन रही हैं जो 2022-23 तक नौसेना को मिल सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन जिस तरीके से अपने नौसेना पर खर्च बढ़ा रहा है, उस लिहाज से भारतीय नौसेना को भी तेजी से आधुनिकीकरण की जरूरत है।
अमेरिकी सुरक्षा विभाग पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार दो माह पहले ही चीन की सेना ने चार न्यूक्लियर पावर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन, छह न्यूक्लियर पावर अटैक सबमरीन और 50 सबमरीन को शामिल किया है। नौसेना चीफ एडमिरल करमबीर सिंह पहले ही चीन की नौसेना को लेकर सतर्क रहने की बात कह चुक हैं।
खंडेरी की खास विशेषताएं यह है कि यह अत्याधुनिक फीचरों से लैस हैं। इनमें रडार से बच निकलने की इसकी उत्कृष्ट क्षमता और सधा हुआ वार कर दुश्मन पर जोरदार हमला करने की योग्यता शामिल है। यह हमला टॉरपीडो से भी किया जा सकता है और ट्यूब-लॉन्च पोत विरोधी मिसाइलों से भी। रडार से बच निकलने की क्षमता इसे अन्य कई पनडुब्बियों की तुलना में अभेद्य बनाएगी।
खंडेरी पनडुब्बी हर तरह के मौसम और युद्धक्षेत्र में संचालन कर सकती है। नौसैन्य कार्यबल के अन्य घटकों के साथ इसके अंतर्संचालन को संभव बनाने के लिए और संचार उपलब्ध बनाए गए हैं।
यह किसी भी अन्य पनडुब्बियों द्वारा अंजाम दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के अभियानों को अंजाम दे सकती है। इन अभियानों में सतह-रोधी युद्धक क्षमता, पनडुब्बी-रोधी युद्धक क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाना, क्षेत्र की निगरानी करना शामिल हैं।