पी.जी.आई. में रविवार को 2 साल बाद किसी ब्रेन डैड मरीज का हार्ट जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया है। यह 5वां मौका है, जब पी.जी.आई. ने कोई हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी की है। 12 मई, 2017 को पी.जी.आई. ने आखिरी हार्ट ट्रांसप्लांट किया था। हालांकि इन वर्षों में कई मौके आए जब डाक्टर्स हार्ट ट्रांसप्लांट करने को तैयार था, लेकिन ब्रेन डैड मरीज की बॉडी व ऑर्गन्स में किसी न किसी दिक्कत की वजह से सर्जरी नहीं हो पाई। हार्ट ट्रांसप्लांट के सर्वाइवल रेट दूसरे ऑर्गन के मुकाबले थोड़ा कम जरूर है, लेकिन पी.जी.आई. के 2 हार्ट ट्रांसप्लांट किए मरीज आज बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। पहले के चारों हार्ट ट्रांसप्लांट में से 2 मरीज सर्वाइव नहीं कर पाए थे।पी.जी.आई. देश के दूसरे शहरों के अस्पतालों को यहां से 9 हार्ट ट्रांसप्लांट भेज चुका है। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक्सपर्ट्स होना ही काफी नहीं कई बार मैचिंग रैसिपियंट नहीं मिल पाता, जिसकी वजह से ऑर्गन्स को दूसरे अस्पतालों से शेयर कर लिया जाता है।
23 साल के सतिंदर सिंह शनिवार को दोपहर 3 बजे ब्रेन डैड डिक्लेयर किया गया था। इसके बाद उसके सभी ऑर्गन्स परिजनों ने डोनेट कर दिए। हार्ट के साथ ही उसका लिवर, किडनी और कॉर्निंया भी ट्रांसप्लांट किया गया, जिन मरीजों को ऑर्गन्स ट्रांसप्लांट किए गए, वे सभी पी.जी.आई. से ही अपना इलाज करवा रहे थे। इनमें से कुछ मरीजों की हालत बहुत ही क्रिटिकल थी। सभी मरीजों को एक नया जीवन मिल पाया है।